क्रिकेट इतिहास के सबसे विवादास्पद

क्रिकेट इतिहास के सबसे विवादास्पद पल: पुनरावलोकन और विश्लेषण

क्रिकेट, जिसे “जेंटलमैन का खेल” कहा जाता है, अपने इतिहास में कई विवादों से भरा हुआ है। मैदान पर झगड़ों से लेकर बॉल टैंपरिंग और मैच फिक्सिंग तक, इन घटनाओं ने खेल की छवि को प्रभावित किया है। इस लेख में, हम क्रिकेट इतिहास के कुछ सबसे विवादास्पद पलों का पुनरावलोकन करेंगे और उनके प्रभावों का विश्लेषण करेंगे।

बॉल-टैंपरिंग स्कैंडल (2018)

2018 में ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका के बीच खेले गए तीसरे टेस्ट मैच के दौरान, ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी कैमरून बैनक्रॉफ्ट को गेंद की स्थिति बदलने की कोशिश करते हुए कैमरे में कैद किया गया। इस घटना को “सैंडपेपरगेट” के नाम से जाना गया। तत्कालीन कप्तान स्टीव स्मिथ और उप-कप्तान डेविड वॉर्नर को इस साजिश में शामिल पाया गया, जिससे ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट की साख को भारी नुकसान हुआ। इस घटना के बाद क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने टीम की संस्कृति की समीक्षा की और खेल में नैतिकता को बढ़ावा देने के लिए सख्त कदम उठाए। स्रोत

बॉडीलाइन सीरीज (1932-33)

इंग्लैंड ने 1932-33 की एशेज सीरीज में डोनाल्ड ब्रैडमैन की बल्लेबाजी को रोकने के लिए “बॉडीलाइन” रणनीति अपनाई। इस रणनीति में गेंदबाज बल्लेबाज के शरीर की ओर तेज़ शॉर्ट पिच गेंद डालते थे। इससे न केवल ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों में असंतोष पैदा हुआ बल्कि इस घटना ने खेल की खेल भावना पर भी सवाल उठाए। इसके परिणामस्वरूप क्रिकेट के नियमों में बदलाव किए गए ताकि बल्लेबाजों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जा सके। स्रोत

अंडरआर्म बॉलिंग विवाद (1981)

1981 में ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच खेले गए वनडे मैच में, अंतिम गेंद पर छह रनों की जरूरत के चलते, ऑस्ट्रेलियाई कप्तान ग्रेग चैपल ने अपने भाई ट्रेवर चैपल को अंडरआर्म गेंदबाजी करने का निर्देश दिया। यह रणनीति नियमों के तहत वैध थी, लेकिन इसे खेल भावना के खिलाफ माना गया। इसके बाद अंडरआर्म गेंदबाजी पर प्रतिबंध लगा दिया गया। स्रोत

मैच फिक्सिंग स्कैंडल (2000)

2000 में दक्षिण अफ्रीका के कप्तान हैंसी क्रोन्ये पर मैच फिक्सिंग में शामिल होने का आरोप लगा, जिससे क्रिकेट की साख को भारी धक्का लगा। जांच के बाद क्रोन्ये समेत भारत के मोहम्मद अजहरुद्दीन और कई अन्य खिलाड़ियों को आजीवन प्रतिबंधित कर दिया गया। इस कांड के बाद ICC ने भ्रष्टाचार विरोधी इकाई की स्थापना की। स्रोत

मंकीगेट स्कैंडल (2008)

2008 में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच सिडनी टेस्ट में, हरभजन सिंह पर एंड्रयू साइमंड्स के खिलाफ नस्लीय टिप्पणी करने का आरोप लगा। यह विवाद इतना बढ़ गया कि दोनों देशों के क्रिकेट बोर्डों के संबंध तनावपूर्ण हो गए। हालांकि, बाद में हरभजन सिंह का प्रतिबंध हटा दिया गया। स्रोत

2019 विश्व कप फाइनल में बेन स्टोक्स विवाद

इंग्लैंड और न्यूजीलैंड के बीच 2019 विश्व कप फाइनल में, बेन स्टोक्स के बल्ले से गेंद टकराकर बाउंड्री पार चली गई, जिसके कारण इंग्लैंड को अतिरिक्त 6 रन मिल गए। इस फैसले को लेकर बहस छिड़ गई कि क्या यह नियमों के अनुरूप था। हालांकि, अंपायर के निर्णय को स्वीकार किया गया, लेकिन यह घटना क्रिकेट के नियमों पर चर्चा का विषय बनी रही। स्रोत

2011 विश्व कप फाइनल का टॉस विवाद

भारत और श्रीलंका के बीच 2011 विश्व कप फाइनल में टॉस के दौरान भारी शोरगुल के कारण भ्रम की स्थिति पैदा हो गई और अंपायर को टॉस दोबारा कराना पड़ा। हालांकि, यह विवाद खेल को प्रभावित नहीं कर सका, लेकिन इसने हाई-प्रेशर मैचों में टॉस को लेकर ध्यान आकर्षित किया। स्रोत

1992 का वर्षा नियम विवाद

1992 विश्व कप के सेमीफाइनल में बारिश के कारण दक्षिण अफ्रीका का लक्ष्य 22 रन 1 गेंद में कर दिया गया, जो पूरी तरह से असंभव था। इस घटना के बाद क्रिकेट में डकवर्थ-लुईस नियम लागू किया गया, जिससे वर्षा प्रभावित मैचों में न्यायसंगत संशोधन संभव हुआ। स्रोत

क्रिकेट की छवि पर प्रभाव और निष्कर्ष

इन सभी विवादों ने क्रिकेट को झकझोर कर रख दिया और खेल की नैतिकता पर प्रश्न उठाए। हालांकि, इन घटनाओं से क्रिकेट के नियमों में सुधार हुआ और खेल की पारदर्शिता बढ़ाने के लिए नए उपाय अपनाए गए। विवादों ने यह भी दिखाया कि खेल में अनुशासन और खेल भावना कितनी महत्वपूर्ण है।

क्रिकेट में विवाद नई बात नहीं हैं, लेकिन इन्हें खेल की प्रगति के लिए सीख के रूप में लिया जाना चाहिए। जब भी कोई विवाद सामने आता है, यह क्रिकेट अधिकारियों को नियमों को सुदृढ़ करने और खेल की निष्पक्षता बनाए रखने की दिशा में कदम उठाने के लिए प्रेरित करता है।

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